हाशिये पर के लोग

किताब के हरेक पन्ने पर

एक हाशिया होता है

जिस पर कुछ लिखा नहीं जाता

बस खाली छोड़ दिया जाता है

बिल्कुल इसी तरह कभी कभी 

साथ चलते चलते 

किसी को

हाशिये पर रख आगे बढ़ जाते है लोग

हाशिये पर बैठे ये लोग

सब देखते है 

सब समझते है

कि कैसे वे मुख्य पृष्ठ से 

हमेशा धकेले जाते है

कभी सम्मान की दुहाई देकर

कभी छोटा बताकर

कभी बड़ा और समझदार बताकर

तो कभी एक तमगा देकर

भावनात्मक रुप से छलकर 

समेट दिया जाता है उनका वजूद

और रख दिया जाता है 

हमेशा हाशिये पर ही

कभी सोचा है ऐसा क्यो ?

वास्तव में ….

मुख्य पृष्ठ सदैव डरता है कि 

हाशिये पर अकेला खड़ा वो शब्द

मुख्य पृष्ठ का शीर्षक न बन जाये 

Amardeep Sahu Deep अमरदीप साहू दीप

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